निदा फ़ाज़ली की कुछ बेहतरीन रचनाएँ मुझे आशा है कि आप इन हिंदी शायरियों को पसंद करेंगे और हमारे अन्य शायरी संग्रहों को पढ़ना न भूलें
Best Nida Fazli Poems | Nida Fazli Poetry | निदा फ़ाज़ली की कविताएँ
Best Nida Fazli Poems
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता।
हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी,
जिस को भी देखना हो कई बार देखना।
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है, इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
बरसात का बादल तो दीवाना है…वो क्या जाने,
किस राह से बचना है और किस छत को भिगोना है।
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं, रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें,क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता, मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो
बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजी
सलीक़ा चाहिए आवारगी में
अपना गम लेके कहीं और न जाया जाए घर में बिखरी हुई चीजों को सजाया जाए घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।
इंसान में हैवान, यहां भी है वहां भी
अल्लाह निगहबान, यहां भी है वहां भी
खूंखार दरिंदों के फ़क़त नाम अलग हैं
शहरों में बयाबान, यहां भी है वहां भी
रहमान की कुदरत हो या भगवान की मूरत
ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को
बदलते वक़्त पे कुछ अपना इख़्तियार भी रख
हर खेल का मैदान, यहां भी है वहां भी
हिंदू भी मजे में है, मुसलमां भी मजे में
इंसान परेशान, यहां भी है वहां भी
अब किसी से भी शिकायत न रही
जाने किस-किस से गिला था पहले
Nida Fazli Poetry
उठ उठ के मस्ज़िदों से नमाज़ी चले गए
दहशतगरों के हाथ में इस्लाम रह गया
जिसे भी देखिए वो अपने आप में गुम है
ज़ुबां मिली है मगर हमज़ुबां नहीं मिलता
Nida Fazli Poems
ज़िंदगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र
आखिरी सांस तक बेक़रार आदमी
हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी