Ganesh DP for Whatsapp ➤ Ganpati Images for Whatsapp ➤ भगवान गणेश जी के फोटो
गणेश जी हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। उन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। गणेश जी के Ganesh DP for Whatsapp के लिए यहां के गणेश जी के फोटो डाउनलोड करे क्योंकि वे लोगों को शुभकामनाएं और आशीर्वाद देने का एक तरीका हैं।
गणेश जी की तस्वीर को अपने WhatsApp DP के रूप में सेट करने से आपको अपने जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। गणेश जी का आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहेगा।
WhatsApp के लिए गणेश DP डाउनलोड करना बहुत आसान है। बस आपको गणेश जी की विभिन्न तस्वीरें शेयर कर रहे है । आप अपनी पसंद की तस्वीर के निचे दिए गए बटन से Ganesh ji ke Photo डाउनलोड कर सकते हैं और इसे अपने WhatsApp प्रोफाइल में सेट कर सकते हैं।
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गणेश जी की आरती
गणेश जी हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। इन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। गणेश जी की आरती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह आरती गणेश जी की महिमा का गुणगान करती है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करती है।
गणेश जी की आरती प्रायः मोमबत्ती या घी के दीपक के साथ की जाती है। आरती करने वाला व्यक्ति दीपक को गणेश जी के सामने घुमाता है और आरती गाता है। आरती के अंत में, आरती करने वाला व्यक्ति गणेश जी को प्रणाम करता है।
गणेश जी की आरती के कई अलग-अलग रूप हैं। कुछ लोकप्रिय आरतीओं में शामिल हैं
- जय गणेश जय गणेश
- दुःख हर्ता सुख करता
- वक्रतुंड महाकाय
- सर्व मंगल मांगल्ये
गणेश जी की आरती किसी भी अवसर पर की जा सकती है। यह विशेष रूप से शुभ अवसरों, जैसे कि नए साल, शादी, या किसी अन्य महत्वपूर्ण घटना के लिए की जाती है।
- गणेश जी की आरती का महत्व
गणेश जी की आरती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह आरती गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी तरीका माना जाता है। गणेश जी की आरती करने से जीवन में सभी बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने में मदद मिलती है। यह आरती बुद्धि, ज्ञान, और सफलता भी प्रदान करती है।
यदि आप गणेश जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको नियमित रूप से उनकी आरती करना चाहिए। गणेश जी की आरती आपको सुख, समृद्धि, और सफलता के मार्ग पर ले जाएगी।
गणेश जी की आरती दुःख हर्ता सुख करता
सुख करता दुःख हर्ता, वार्ता विघ्नाची नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची कंठी झलके माल मुकताफळांची
रत्नाखचित फरा तुझ गौरीकुमरा चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना संकट पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
हात लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
भावभगत से कोई शरणागत आवे ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
अर्थ:
हे सुख करने वाले, दुख हराने वाले, विघ्नों को दूर करने वाले गणेश जी, आपकी कृपा से ही जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
आपकी सुंदरता अद्भुत है। आपके सिर पर रेशमी पगड़ी है, और आपकी गर्दन में मोती और फल की माला है।
आपके शरीर पर गहने जड़े हुए हैं। आप चंदन का तिलक लगाते हैं और केशरा लगाते हैं। आपके सिर पर सुंदर मुकुट है, और आपके पैरों में छल्ले बजाते हैं।
आपके पेट बड़े हैं, और आप पीले वस्त्र पहनते हैं। आपके हाथ में एक मोदक है और आपके तीन नेत्र हैं।
हमारे आराध्य राम जी आपके दर्शन के लिए लालायित हैं। आप संकटों को दूर करते हैं और भक्तों की रक्षा करते हैं।
आपका तेज करोड़ों सूर्यों की रोशनी के समान है। जो भी आपके प्रति श्रद्धा और भक्ति से आता है, उसे आप बहुत प्यार करते हैं।
गणपति जी सेवा मंगल मेवा Aarti
गणपति जी सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टारें। तीन लोक तैंतीस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज़ करें।
रिद्धि सिद्धि दक्षिण वाम विराजे, और आनंद सो चाव करे। धूप दीप और लिए आरती, भक्त खड़े होकर करें।
गुड़ के मोदक भोग लगते हैं, मूषक वाहन चढ़ा करें। सौम्य रूप सेवा गणपति की, विघ्न भाग्य दूर परे।
भादो मास और शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपहर पूर्ण परे। लीयो जन्म गणपति प्रभु ने, दुर्गा मन आनंद भरें।
अद्भुत बाजा बजै इन्द्र का, देव वधु जहां गान करें। श्री शंकर के आनंद उठे, नाम सुना सब विघ्न टारें।
आन विधाता बैठे आसन, इंद्र अप्सरा नृत्य करें। देख वेद ब्रह्माजी जाको, विघ्न विनाशक नाम धारें।
एकदंत गजवदन विनायक, त्रिनेत्र रूप अनुप धारें। पगथंभ सा उदार पृष्ठ है, देख चंद्रमा हस्य करे।
दे श्राप श्री चंद्रदेव को, कालहिं तत्काल करें। चौदह लोक में फिरे गणपति, तीन लोक में राज्य करें।
उठ प्रभात जो आरती गावे, ताके सिर यश छत्र फिरे। गणपति जी की पूजा पहले करना, काम सब निर्भय करना।
अर्थ:
गणपति जी की सेवा मंगलदायी है। उनकी सेवा से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। तीनों लोक के तैंतीस देवता, गणपति जी के द्वार खड़े होकर उनका आदर करते हैं।
रिद्धि और सिद्धि उनके दाहिने और बाएं विराजमान हैं, और वे आनंद से मन में चहक रहे हैं। भक्त धूप, दीप, और आरती लेकर खड़े हैं।
गणपति जी को गुड़ के मोदक का भोग लगता है, और वे उन पर मूषक वाहन चढ़ाते हैं। गणपति जी का सौम्य रूप देखते ही, विघ्न भाग जाते हैं और भाग्य चमक उठता है।
भादों मास की शुक्ल चतुर्थी के दिन दोपहर को गणपति जी का जन्म हुआ था, जिससे देवी दुर्गा को आनंद हुआ।
इंद्र का अद्भुत बाजा बज रहा है, और देवता और अप्सराएं गा रही हैं। श्री शंकर प्रसन्न हो गए हैं, और उन्होंने गणपति जी को विघ्न विनाशक नाम दिया है।
एकदंत गजवदन विनायक, त्रिनेत्र रूप से अद्वितीय हैं। उनका पृष्ठ पगथंभ के समान उदार है, जिसे देखकर चंद्रमा भी हंस पड़ता है।
चंद्रदेव ने गणपति जी का अपमान किया था, जिससे उन्होंने उन्हें श्राप दिया। गणपति जी ने काल को तत्काल दंड दिया।
गणपति जी चौदह लोकों में विचरण करते हैं, और तीनों लोकों में उनका राज्य है। जो भी प्रभात के समय गणपति जी की आरती गाता है, उसके सिर पर यश का छत्र हमेशा रहता है।
गणपति जी की पूजा सर्वप्रथम करना चाहिए, तभी सभी कार्य निर्विघ्न होते हैं।
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
अर्थ:
जिनके मुंह घुमावदार हैं, जिनका शरीर विशाल है, जो अपने भक्तों के पापों को तुरंत हर लेते हैं, जो करोड़ों सूर्य के समान तेजस्वी हैं, जो ज्ञान का प्रकाश चारों ओर फैला सकते हैं, जो सभी कार्यों में होने वाले बाधाओं को दूर कर सकते हैं, वैसे प्रभु आप मेरे सभी कार्यों की बाधाओं को शीघ्र दूर करें। आप मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि सदैव बनाए रखें।
श्री गणेशजी की आरती
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे,मूसे की सवारी॥
माथे पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी॥
पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।
हार चढ़े, फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी।
कामना को पूर्ण करो,जग बलिहारी॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥